मेरे पास छोड़ जाओ
कुछ यादों का पिटारा
तेरे जाने के बाद भी
बने जीने का जो सहारा

Poetry, Shayari and Gazals
मेरे पास छोड़ जाओ
कुछ यादों का पिटारा
तेरे जाने के बाद भी
बने जीने का जो सहारा
गलतफहमियों की
हद कुछ यूं हैं की
कुछ न बोलो तो भी
वो लड़ने आ जाते हैं
अरसो से सजाये थे छोटेसे दिल में
जमाने सें अनकहे अधुरे कई अरमान
झोपड़ी मेरी जलकर खाक हो गई
बची यादें पुरानी और कुछ सामान
अब भी तुमको
जानना है मुझे
रूह तक तो मेरी
जान चुके हो
सबुत है अगर
तो बता दें
या फिर
गुनाहगार कहना छोड़ दें
अब भी शायद
तुम जान न पाए मुझे
नजरीये का पर्दा उठाकर
इक बार फ़िर देख लो
खुशी की क्या
ख्वाईश करे तुमसे
तुम तो खुद से ही
मायूस लगते हो
इस गुस्ताखी की
सजा क्या दोगे
खुदकी गलती की
वजह क्या दोगे
गुस्ताख़ी हो तो
सजा दि भी जाए शायद
इस नासमझी की
सजा क्या दे
उनकी नज़र का दायरा ही
कुछ उपरीं सा है शायद
दिल की गहराईयों तक
पोहोंच ही नहीं पाते