ये ख्वाब भी इक दिन
उनकी मंज़िल पायेंगे
जहां हम चल पड़ेंगे
वहां रास्ते बन जायेंगे

Poetry, Shayari and Gazals
ये ख्वाब भी इक दिन
उनकी मंज़िल पायेंगे
जहां हम चल पड़ेंगे
वहां रास्ते बन जायेंगे
यादें भुलाई जाती हैं
इन्सान भुलाये जातें हैं
वक़्त के मरहम से यहां
हर ज़ख्म मिटाये जातें हैं
यूं टूंट कर बिखरने की
कहां है इजाजत तुम्हें
तुम गर बिखर गये तो
टूंटे हुए को संभालेगा कौन
क्यो ये खाली मकान है
यहां कोई आता क्यो नहीं
इन्सान तो बहुत से है यहां
दिल को कोई भांता क्यो नहीं
बंद कमरें में घुमते रहते हो
ये शहर भला कैसे पता होगा
खोजने की भी ना कि कोशिश कभी
तुम्हे हुनर अपना कैसे पता होगा
कौन बांट सकता है भला
किसी के गमों को यहां
अहमियत होती हैं तो सिर्फ़
हौंसला दे ऐसे दो लफ्जों की
पिंजरे में बंद कब तक
ये गुलामी का जहान पायेंगे
उड़ने दो इन पंछियों को
ये इक दिन आसमान पायेंगे
ये वक़्त यूं हीं
ठहर ना जाये
सांसों की माला ये
बिखर ना जाये
शिद्दत न हो दुआओ में
तो दुआये कहां असर करती हैं
कोई अपनासा ही ना लगे तो
उनकी यादें कहां बसर करती हैं
समंदर में जीने की
तहज़ीब देखता हूं
मै उगते सुरज में
हर रोज उम्मीद देखता हूं