मुझे स्वीकार करो
ऐबो के साथ मेरे
छुपाये दुनिया से मैने
भीतर कई हुनर है

Poetry, Shayari and Gazals
मुझे स्वीकार करो
ऐबो के साथ मेरे
छुपाये दुनिया से मैने
भीतर कई हुनर है
वो ऐबो को सजाकर अपने
हुनर का सर्टिफ़िकेट ले आए
हमने कई साल लगा दिये
अपने हुनर मे ऐब ढुंढने में
लगाकर रखा है पुराना आईना
मैने नये घर के इक कोने मे
जब भी बदलाव सा लगता है मुझमें
इक बार उस आईने में देख आता हूँ
इक नन्ही सी ये जान है
चार दिन हुए आया मेहमान है
खोजता रहता हरदम अपनी माँ को
सिवा उसकी न किसकी पहचान है
रास नही आते ये तौर-तरीके जमाने के मुझे
जहां ऐबो को सजाकर हुनर बताया जाता हो
ऐब अगर है तो छिपाना क्यो
हुनर अगर है तो सजाना क्यो