मंजिलों के रास्तों पर फूल बिछाए तो नहीं
कांटों पर भी कभी चलना पड़ेगा
कभी सूरज सा जलना पड़ेगा
कभी दिये सा जलना पड़ेगा

Poetry, Shayari and Gazals
मंजिलों के रास्तों पर फूल बिछाए तो नहीं
कांटों पर भी कभी चलना पड़ेगा
कभी सूरज सा जलना पड़ेगा
कभी दिये सा जलना पड़ेगा
क्या इन दिवारो की दरारें
कुछ कहानियां सुनाती तो नहीं
हर चीज़ को वक्त की मोहलत है
यह बताती तो नहीं
इन मुसीबतों का बादल
जिंदगी की रोशनी कब तक ढक पायेगा
वो भी दौर गुज़रा था
देर से सही ये भी दौर गुज़र हीं जायेगा
किसी ने तकदीर बदल दी
जिम्मेदार खुद को समझ कर
किसी ने काट दी जिंदगी
तकदीर को जिम्मेदार कह कर
चंद लफ्जों से ही तो
शिकायतें रहती हैं सबको
कहीं कुछ बिगाड़ देते हैं
कहीं कुछ संवार देते हैं
समंदर में जीने की तहज़ीब देखता हूं
मै उगते सुरज में हर रोज उम्मीद देखता हूं
ये मुश्किलातो के दौर आज के तो नहीं
मैं ख्वाबों में भी अपनी मंजिलें करीब देखता हूं
लड़ना है तो अकेले और निहत्थे ही सही
मैं गर लडु जी जान से तो हार में भी जीत देखता हूं
ये रास्तों के पत्थर और कांटे मेरे दोस्त तो नहीं
मैं उनमें भी हौंसला बढ़ाने का हुनर अजीब देखता हूं
इन हाथों की लकीरों में कब तक रहे उलझकर
मै आज के कर्मो में ही कल का नसीब देखता हूं
-Rarebiologist Quotes
कहीं कोई ख्वाबो में
हकीकत मिलाये बैठा है
कही कोई यादों में
ख़ुद को भुलाये बैठा हैं
ख्वाब ही में तो जिए जा रहे हैं
ये कोई हकीकत तो नहीं
वो दूर ही तो है कही उसे
पास आने की इजाजत तो नहीं
मानते हैं जिसको हमनवां अपना
वो कोई खूबसूरत मुसीबत तो नहीं
शीशा हमेशा साफ ही दिखाता है
तुम्हारा पर्दे से मतलब तो नहीं
इस जुनून का क्या किया जाये
ये बन रहा अब मेरी आदत तो नहीं
जिंदगी गुजर गई इक हवा के झोंके सी
चाहिए थी वक्त की थोड़ी सी मोहलत तो नहीं
-Rarebiologist Quotes
जिन्दगी कुछ कम दे तो कम ही सही
ज्यादा गर ख़ुशी ना दे तो ग़म ही सही
वक्त कहां किसका गुलाम बन बैठा है
कल भी था किसी पर आज हम ही सही
कल खूब हंस लिए थे हम जी खोलकर
आज हो ये आंखे नम तो नम ही सही
किन-किन जख्मों को लगाया जाए मरहम
ना मिले मरहम तो अब बेमरहम ही सही
दौड़कर लगती है थकान भी कभी पर
रुकेंगे नहीं चलेंगे इक इक कदम ही सही
यही दौर के अफसाने सुनने आयेंगे वो
आज भले लड़ रहे हो अकेले सिर्फ हम ही सही
ये मुकद्दर कोई पत्थर की लकीर तो नहीं
नहीं बदलेगा इस मौसम तो अगले मौसम ही सही
-Rarebiologist Quotes
ये कैसी आदतों के बनकर गुलाम बैठे हो
बेदिल जिस्म वाली बनकर अवाम बैठे हो
हकीकत से हरदम करते हो यूं पर्दा
करके सब कुछ अपना निलाम बैठे हो
यहीं चलता आया है यही चलता रहेगा
कहकर ऐसा फरमाते आराम बैठे हो
थोड़ी सी तो कीमत रखते खुद की भी
बस करते हुए सबको सलाम बैठे हो
वो हो रहे हैं मशहूर न करके कुछ भी
तुम सब कुछ करके यूं बेनाम बैठे हो
दुसरो की नजरों में खोजते रहे खुद को
क्या वक्त हैं आज कहीं गुमनाम बैठें हो
-Rarebiologist Quotes