
चाह है गर मंजिल पाने की
चलना तो पड़ेगा ही
चाहीए चमक जो सोने सी
जलना तो पड़ेगा ही
कश्तीयो को नहीं मिलते साहिल यूं ही
आंधियों को झेलना तो पड़ेगा ही
गिरोगे भी, ठोकरे भी लगेगी कभी
फिर उठना तो पड़ेगा ही
चकनाचूर होगा हौसला भी कभी
निहत्थे सही लड़ना तो पड़ेगा ही
लाख मारेगी ताने यह दुनिया
कुछ दिन सहेना तो पड़ेगा ही
मंजिलें हो धुंधली ही सही
इक कदम रखना तो पड़ेगा ही
वक्त आता हि है सब का जरूर
थोड़ा सब्र रखना तो पड़ेगा ही