
भीड़ से इस दुर कही
इक छोटा आशियाना हो
इक बहता झरना हो
पास उसके ठिकाना हो
किलबिल हो पंछियों की
नाचता मयुर दिवाना हो
सब सृष्टि लगे घर जैसी
कुछ पशुओं का भी आना हो
चिड़ियों की धुन जगाये
रात का छत ठिकाना हो
तारो कि चादर चमके
चांद की बाहों में सोना हो
Poetry, Shayari and Gazals
भीड़ से इस दुर कही
इक छोटा आशियाना हो
इक बहता झरना हो
पास उसके ठिकाना हो
किलबिल हो पंछियों की
नाचता मयुर दिवाना हो
सब सृष्टि लगे घर जैसी
कुछ पशुओं का भी आना हो
चिड़ियों की धुन जगाये
रात का छत ठिकाना हो
तारो कि चादर चमके
चांद की बाहों में सोना हो