
महलों मे करती काम दिन में
काम दुसरा शाम भी वो करती
दरवाजे पर बैठै बच्चे की माँ की
सांस उससे हि हरदम जुड़ी रहती
उसके लिए भी हम सब जैसा
बेटा उसका इक राजकुमार है
महल थोड़ा छोटा होगा उसका
पर बडा ख्वाबों का दरबार है
बच्चों को खुशहाली दे जीने मे
यह जिसके जीने का सारांश है
मुझको लगता सब उन माँ मे
माँ देवी दुर्गा का अंश है
Nice blog post
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Thank you
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