
वो चाय कि चुस्कियां, साथ बाते दिलो की
वो चौबारे पर बैठना, जुडी है यादे जिनकी
रातो का वो जगना, अलार्म लगा सोना
ख्वाबों मे खोकर, नींद का ना खुलना
कुछ अपनीसी है, कुछ अपनोसे है
इक तार सी जुड़ी, उन सपनो से है
वो जो कुछ लम्हे थे, जो रूकते थे नही
आज कुछ लम्हे है, जो कटते से नही