खुलती हि नहीं नींदसे होकर यह बंद आंखे आजकल
लगता है ईनसे बडे ख्वाबो का बोझा झेला नहीं जाता

Poetry, Shayari and Gazals
खुलती हि नहीं नींदसे होकर यह बंद आंखे आजकल
लगता है ईनसे बडे ख्वाबो का बोझा झेला नहीं जाता